आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की आखिरी तारीख अब बस दो दिन दूर है। 15 सितंबर तक रिटर्न नहीं भरने पर करदाताओं को लेट फीस और जुर्माना भुगतान करना पड़ सकता है। इस बार करदाताओं को पोर्टल पर तकनीकी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। एआईएस, फॉर्म 26एएस और टीआईएस डाउनलोड करने में परेशानी आ रही है। इससे करदाताओं में चिंता का माहौल है।
करदाताओं की परेशानी बढ़ी
Many taxpayers have already shared their problems on social media. पर भारी ट्रैफिक के कारण साइट सही तरीके से नहीं हो रही है। टैक्सपेयर्स ने बयान दिया है कि 15 सितंबर तक अगर रिटर्न फाइल नहीं हुआ तो उन्हें देरी से दाखिल करना पड़ेगा। इससे न केवल अतिरिक्त जुर्माना होगा बल्कि टैक्स क्रेडिट वेरिफाई करने में भी परेशानी होगी।
पिछले साल और इस साल की स्थिति
Last year 7.28 करोड़ रिटर्न 31 जुलाई तक भरे गए थे। इस साल 11 सितंबर तक सिर्फ 5.47 करोड़ रिटर्न ही जमा हुए हैं। यानी इस बार रफ्तार बहुत धीमी है। 11 सितंबर से ही टीआरएसीईएस पोर्टल ठप है। इसके कारण प्रोफेशनल्स और टैक्सपेयर्स फॉर्म 26एएस एक्सेस नहीं कर पा रहे हैं और टीडीएस सर्टिफिकेट डाउनलोड करने में फंस रहे हैं।
जुर्माना और देरी से रिटर्न
Tax Manager CEO दीपक जैन ने बताया कि सुबह बारीकी से एआईएस और टीआईएस इंपोर्ट हो रहे नहीं हैं। टैक्स एडवाइजर और कॉल सेंटर ग्राहकों की चिंताओं को बारीकी से लगातार सुन रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि 15 सितंबर तक रिटर्न दाखिल नहीं होता है तो बाद में बेलैटेड रिटर्न फाइल करना पड़ेगा, लेकिन इसके साथ पेनल्टी भी देनी होगी।
पेशेवर संगठनों की मांग
टैक्स एक्सपर्ट और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की एसोसिएशनों ने सरकार से समय सीमा बढ़ाने की मांग की। जोधपुर बार एसोसिएशन ने कहा कि इस बार आईटीआर फॉर्म लेट जारी हुए और उसके बाद भी पोर्टल में लगातार समस्या बनी रही। ऐसे में रिटर्न और टैक्स ऑडिट रिपोर्ट की डेडलाइन आगे बढ़ाना जरूरी है।
अन्य संगठनों का बयान
कर्नाटक स्टेट चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन, एडवोकेट्स बार एसोसिएशन और आईसीएआई की सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल ने भी चिंता जताई है। एटीबीए ने गैर-ऑडिट आईटीआर की डेडलाइन 15 अक्टूबर तक बढ़ाने की मांग की है। उनका कहना है कि अभी तक जो राहत दी गई है वह नाकाफी है।
कम समय में दाखिल करने की दिक्कत
विशेषज्ञों का कहना है कि सीबीडीटी ने इस बार नॉन-ऑडिट रिटर्न की तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी थी। लेकिन अधिकांश यूटिलिटी बहुत देर से जारी हुईं। आईटीआर-2 और आईटीआर-3 केवल 11 जुलाई को जारी हुए। आईटीआर-5 अगस्त में उपलब्ध हुआ। इसी तरह आईटीआर-6 और आईटीआर-7 भी देर से आए। पिछले साल अप्रैल से ही फॉर्म जारी हो गए थे और करदाताओं के पास लगभग तीन महीने का समय था।
आखिरी वक्त की दिक्कतें
विशेषज्ञों का कहना है कि आखिरी समय पर रिटर्न भरने से पोर्टल पर और दिक्कतें आती हैं। टैक्सबडी डॉट कॉम के संस्थापक सुजीत बंगर का कहना है कि भारी ट्रैफिक से पोर्टल फ्रीज हो जाता है। आधार ओटीपी में देरी और अन्य तकनीकी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं। इसलिए समय पर रिटर्न दाखिल करना जरूरी है।